Monday, June 3, 2013

इस इन्तज़ार का तो कोइ दाम नही होता


कुछ लोग ज़िंदगी में यूं ही आ जाते हैं,
कोई वजह नहीं होती,कोई काम नहीं होता
फिर धीरे-धीरे वो यादों के रस्ते से दिल में आ जाते हैं,
कोई जगह नही होती, कोई नाम नही होता
इस बीच जो होता है, पागलपन कहते हैं
दीवानों का कोई अँजाम नहीं होता
इक साल गुज़र जाए, सौ साल भी हो चाहे,
इस इन्तज़ार का तो कोइ दाम नही होता
अकसर इस चक्कर में एक पागल होता है, एक घायल होता है,
दोनो ही के दिल को आराम नही होता
फिर भी करते हैं इश्क़ लोग
फिर भी होता है प्रेम रोग
इज़्हार-ए-दवा होती तो इल्ज़ाम नहीं होता
                                                               निरुपमा

3 comments:

  1. Since you are interested in Sufi music may be you can read the Poetry of Khwāja Shamsu d-Dīn Muhammad Hāfez-e Shīrāzī better known as Hafez & Khalilullah Khalili. Both are famous Persian poets and their writings are worth reading many times.

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